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जानिए यह प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर कें बारे में

  जानिए यह प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर 


नमस्कार दोस्तो आपका बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चेनेल में दोस्तो आज हम बात करने जा रहे हैं प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर कें बारे में जी आइए दोस्तो जानते हैं । हम 

                      काशी विश्वनाथ मंदिर 


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काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पिछले कई हजारों वर्षों से वाराणसी में स्थित है। काशी विश्‍वनाथ मंदिर का हिंदू धर्म में एक विशिष्‍ट स्‍थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्करद्वारा सन 1780 में करवाया गया था।बाद में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने द्वारा बनवाया गया था।

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जानिए यह प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर कें बारे में जानिए यह प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर कें बारे में Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on June 24, 2019 Rating: 5

ब्रम्हा देव के पुत्रो के बारे में जानिए

       ब्रम्हा जी के पुत्रो के बारे में जानिए । 

नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चेनेल में दोस्तो आज हम बात करने जा रहे हैं ब्रह्मा देव के पुत्रो के बारे में जी हाँ दोस्तो हम जानेंगे आइए जानते हैं । 

ब्रम्हा जी के पुत्रो के बारे में जानिए ।  pauranikkathaa.blogspot.com  पौराणिक कथा चैनल

                            ब्रम्हा  देव 

पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रम्हा देव के पुत्र विष्वकर्मा, अधर्म, अलक्ष्मी, आठवसु, चार कुमार, 14 मनु, 11 रुद्र, पुलस्य, पुलह, अत्रि, क्रतु, अरणि, अंगिरा, रुचि, भृगु, दक्ष, कर्दम, पंचशिखा, वोढु, नारद, मरिचि, अपान्तरतमा, वशिष्‍ट, प्रचेता, हंस, यति आदि मिलाकर कुल 59 पुत्र हैं यह सभी ब्रम्हा जी के पुत्र हैं 


जानिए 

हिंदू धर्म ग्रंथ एवं हिंदू धर्म के अनुसार ब्रह्मा देव के प्रसिद्ध पुत्र 
 :
.मन से मारिचि।
.नेत्र से अत्रि।
.मुख से अंगिरस।
.कान से पुलस्त्य।
.नाभि से पुलह।
.हाथ से कृतु।
.त्वचा से भृगु।
.प्राण से वशिष्ठ।
.अंगुष्ठ से दक्ष।
.छाया से कंदर्भ।
.गोद से नारद।
.इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार।
.शरीर से स्वायंभुव मनु और शतरुपा।
.ध्यान से चित्रगुप्त।
.प्राण से वशिष्ठ।
.अंगुष्ठ से दक्ष।
.छाया से कंदर्भ।
.गोद से नारद।


.ध्यान से चित्रगुप्त।


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ब्रम्हा देव के पुत्रो के बारे में जानिए ब्रम्हा देव के पुत्रो के बारे में जानिए Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on March 30, 2019 Rating: 5

कामदेव कौन हैं एवं उनके अनेक नाम और शक्ति जानिए

कामदेव कौन हैं एवं उनके अनेक नाम और शक्ति जानिए 

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                          कामदेव 

नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चैनल में दोस्तो हम बात करने जा रहे हैं कामदेव के बारे में जी हाँ दोस्तो कामदेव आइए दोस्तो हम जानते हैं 

पुराणों व हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार कामदेव को हिंदू शास्त्रों में प्रेम और काम का देवता माना गया है।उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है। वे विवाहित हैं और रति उनकी पत्नी हैं। वे अत्यधिक शक्तिशाली हैं कि उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है। उनके अन्य नामों में रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मनसिजा, मदन, रतिकांत, पुष्पवान, पुष्पधंव आदि अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। दोस्तो कामदेव के भगवान शिव शंकर के क्रोध से भस्म हो जाने के बाद  उन्हे पुनः प्रभु श्री कृष्ण के पुत्र प्रदुम्न के रूप में दौउपर युग में जन्म लिया इनका विवाह वज्रनाभ कि पुत्री प्रभावती से हुआ था इनका पुत्र का नाम अनिरुद्ध था जिनका विवाह वाणासुर कि पुत्री ऊषा से विवाह हुआ 

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कामदेव कौन हैं एवं उनके अनेक नाम और शक्ति जानिए कामदेव कौन हैं एवं उनके अनेक नाम और शक्ति जानिए Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on March 24, 2019 Rating: 5

महाभारत के विदुर थें यम राज के अवतार जानिए ।

महाभारत के विदुर थें यम राज के अवतार जानिए । 

नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चेनेल में दोस्तो आज हम बात करने जा रहे हैं महाभारत के पात्र विदुर काका के बारे आइए दोस्तो हम जानते हैं 

महाभारत के विदुर थें यम राज के अवतार जानिए । pauranikkathaa.blogspot.com
                       

                       महात्मा विदुर 

महाभारत एवं हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार विदुर धृतराष्ट्र एवं पांडु के अनुज थें और कुरु वंश और हस्तिनापुर के महामंत्री थें वह पांडव एवं कौरव के काका थें । और ऐसा कथन मिलता हैं कि महाभारत में महात्मा विदुर मृत्यु के राजा यमराज के अवतार थे। यमराज को परम तजस्वी ऋषि माण्डव्य के श्राप के कारण मनुष्य योनि में जन्म लेना पड़ा। विदुर धर्म शास्त्र और अर्थशास्त्र में बड़े निपुण थे। उन्होंने जीवनभर कुरुवंश के हित के लिए कार्य किया। और उन्होने महाभारत के युध्द में भाग नहीं लिया और वह तीर्थ यात्रा के लिए चले गए उन्हे पहले से ही ज्ञात था कि यदि पांडव और कौरव के बीच युद्घ हुआ तो कौरव कुरु कुल का सर्वनाश होगा और वैसा हुआ भी । 

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महाभारत के विदुर थें यम राज के अवतार जानिए । महाभारत के विदुर थें यम राज के अवतार जानिए । Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on March 19, 2019 Rating: 5

शिव जी (महादेव ) बाघ कि खाल क्यू पहनते हैं जानिए

शिव जी (महादेव ) बाघ कि खाल क्यू पहनते हैं जानिए

शिव जी (महादेव ) बाघ कि खाल क्यू पहनते हैं जानिए  pauranikkathaa.blogspot.com पौराणिक कथा चैनल

                         महादेव जी 



नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चेनेल में दोस्तो हम बात करने जा रहे हैं शिव जी के बारे में जी हाँ दोस्तो हम जानेंगे कि कि शिव जी महादेव बाघ कि खाल क्यू पहनते हैं आइए जानते हैं 

पौराणिक कथा एवं शिव महापुराण के अनुसार भगवान शिव शंकर एक बार ब्रह्मांड का गमन करते-करते एक जंगल में पहुंचे जो कि कई ऋषि-मुनियों का स्थान था। यहां वे अपने परिवार समेत रहते थें भगवान शिव इस जंगल से निर्वस्त्र गुजर रहे थे,। शिव जी  इस बात से अनजान थे कि उन्होंने वस्त्र धारण नहीं कर रखे। शिवजी का शरीर देख ऋषि-मुनियों की पत्नियां उनकी ओर आकर्षित होने लगी।वह धीरे-धीरे सभी कार्यों को छोड़ केवल शिव शंकर  पर ध्यान देने लगीं। तत्पश्चात जब ऋषियों को यह ज्ञात हुआ कि शिवजी के कारण (जिन्हें ऋषि एक साधारण मनुष्य मान रहे थे) उनकी पत्नियां मार्ग से भटक रही हैं तो वे अत्यधिक क्रोधित हो गए सभी ऋषियों ने शिव जी को सबक सिखाने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने महादेव के मार्ग में एक बड़ा गड्ढा बना दिया, मार्ग से गुजरते हुए शिवजी उसमें गिर गए।जैसे ही ऋषियों ने दिखा कि शिव जी उनकी चाल में फंस गए हैं, उन्होंने उस गड्ढे में एक बाघ को  गिरा दिया, ताकि वह महादेव  को मारकर खा जाए।
लेकिन  शिवजी ने स्वयं उस बाघ को मार डाला और उसकी खाल को पहन गड्ढे से बाहर आ गए। तब सभी ऋषि-मुनियों को यह आभास हुआ कि यह कोई साधारण मनुष्य नहीं है। तब ऋषियों ने उनसे उनका परिचय पूछा जब उन्हे ज्ञात हुआ कि यह भगवान शिव शंकर हैं तभी से महादेव बाघ कि खाल पहने हैं । 

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शिव जी (महादेव ) बाघ कि खाल क्यू पहनते हैं जानिए शिव जी (महादेव ) बाघ कि खाल क्यू पहनते हैं जानिए Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on March 12, 2019 Rating: 5

महादेव का प्रिय नृत्य तांडव के बारे में जानिए

महादेव का प्रिय नृत्य तांडव के बारे में जानिए 


नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चेनेल में दोस्तो आज हम बात करने जा हैं  महादेव का प्रिय नृत्य तांडव के बारे में जानिए जी हाँ दोस्तो हम जानेगे । आइए दोस्तो हम जानते हैं

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                           तांडव नृत्य 

पुराणों व हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार तांडव भगवान शिव शंकर का प्रिय नृत्य हैं । यह नृत्य कई प्रकार के होते हैं । भगवान शिव के तांडव स्वरूप को नटराज कहा जाता हैं । तांडव में भगवान शिव शंकर बौने राक्षस के उपर नृत्य करते हैं जो । अज्ञानता का प्रतीक हैं । ऊपर बाएँ हाँथ में अग्रि या दर्शाती हैं कि भगवान शिव सृष्टि का विनाश करके पुनः निर्माण कार्य ब्रह्मा जी को सौप रहे हैं दूसरा बाँया हाँथ जो भगवान के पैर के पास हैं वह सार्वभौम स्वतंत्रा का प्रतीक हैं तांडव करते समय भगवान शिव के डमरू से 14 मंत्र निकले थें जिसे महेश्वर सूत्र के नाम से जाना जाता हैं । 


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महादेव का प्रिय नृत्य तांडव के बारे में जानिए महादेव का प्रिय नृत्य तांडव के बारे में जानिए Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on March 09, 2019 Rating: 5

सूर्य पुत्र कर्ण को इन्द्र कि अमोघ शक्ति कैसे मिली जानिए

        सूर्य पुत्र कर्ण को इन्द्र कि अमोघ शक्ति कैसे मिली जानिए 


नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चेनेल में दोस्तो आज हम बात करने जा हैं  सूर्य पुत्र कर्ण को इन्द्र कि अमोघ शक्ति कैसे मिली के बारे में जी हाँ दोस्तो हम जानेगे । आइए दोस्तो हम जानते हैं

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                    इन्द्र अमोघ शक्ति 

महाभारत एवं हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार जब महाभारत का युद्घ में इन्द्र देव व प्रभु श्री को पता था । कि जब तक कर्ण के पास कवच कुंडल हैं उसे कोई परास्त नहीं कर सकता । तब इन्द्र देव ने इन्द्र देव ने कर्ण से छल से कवच कुंडल लिया फिर इन्द्र ने तुंरत वहां से दौड़ ही लगा दी और दूर खड़े रथ पर सवार होकर भाग गए। लेकिन कुछ मील जाकर इन्द्र का रथ नीचे उतरकर भूमि में धंस गया। तभी आकाशवाणी हुई, 'देवराज इन्द्र, तुमने बड़ा पाप किया है। अपने पुत्र अर्जुन की जान बचाने के लिए तूनेयह छल रचा अब यह रथ यहीं धंसा रहेगा और तू भी यहीं धंस जाएगा। तब इंद्र ने कर्ण को कवच कुंडल के बदले अमोघ अस्त्र दिया।

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