शुक्राचार्य कौन थें जीवन परिचय जानिए
दैत्य गुरु शुक्राचार्य
नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चेनेल में दोस्तो आज़ हम बात करने जा रहे हैं दैत्य गुरु शुक्राचार्य जी के बारे में आइए जानते हैं ।
पौराणिक कथा तथा हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार असुराचार्य, भृगु ऋषि तथा हिरण्कष्यपु की पुत्री दिव्या के पुत्र जो शुक्राचार्य के नाम से अधिक विख्यात हैं। इनका जन्म का नाम 'शुक्र उशनस' है। पुराणों धर्म ग्रंथ के अनुसार यह दैत्यों के गुरु तथा पुरोहित थे।
भगवान के वामनअवतार में तीन पग भूमि प्राप्त करने के समय, यह राजा बलि की झारी (सुराही) के मुख में जाकर बैठ गए थे और बलि द्वारा दर्भाग्र (कुशा) से सुराही को साफ करने की क्रिया में इनकी एक आँख फूट गई थी। इसीलिए यह "एकाक्ष" भी कहे जाते थे। असुरों के गुरू होने के कारण इन्हे असुराचार्य एवं शुक्राचार्य कहा जाता हैंपौराणिक कथा के तथा हिंदू धर्म ग्रंथ में उल्लेख मिलता हैं कि महर्षि शुक्राचार्य ने भगवान शिवशंकर महादेव की घोर तपस्या की थी और उनसे मृतसंजीवनी मंत्र प्राप्त किया था, जिस मंत्र का प्रयोग उन्होंने देवासुर संग्राम में देवताओं के विरुद्ध किया था जब असुर देवताओं द्वारा मारे जाते थे, तब शुक्राचार्य उन्हें मृतसंजीवनी विद्या का प्रयोग करके जीवित कर देते थे। यह विद्या अति गोपनीय ओर कष्टप्रद साधनाओं से सिद्ध होती है।
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Reviewed by पौराणिक कथा चैनल
on
November 16, 2018
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