तुलसी विवाह क्यू मनाया जाता हैं जानिए
तुलसी विवाह
नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चेनेल में दोस्तो आज़ हम बात करने जा रहे हैं कि तुलसी विवाह क्यू मनाया जाता हैं 
पौराणिक कथा एवं हिंदू धर्म ग्रंथ हिंदू शास्त्र के अनुसार प्राचीन काल में वृंदा नाम की एक स्त्री  थी जिनका विवाह राक्षस राज जालंधर से हुआ था श्रीमद्भागवतम् के अनुसार जालंधर भगवान् शिव शंकर महादेव का ही अंश है। 
लेकिन अपने अहंकार के कारण उसमे आसुरी प्रवृत्ति व भावना  आ गई. अपनी पत्नी वृंदा के भगवान् विष्णु के प्रति धर्म और भक्ति शक्ति के कारण ही  वह अजेय बन गया था यहां तक कि भगवान् शिवशंकर  विष्णु और ब्रह्मा जी  भी जालंधर को परास्त नही कर पा रहे थें  जालंधर बढ़ते  पाप के अंत के लिए  स्वयं महादेव ने जालंधर से युद्ध किया लेकिन वृंदा की भक्ति और सतीत्व के कारण भगवान् शिवशंकर  के अस्त्र शस्त्र  भी जालंधर के सामने विफल रहे. यह देखकर सभी देवताओ ने भगवान् विष्णु से सहायता मांगी.  धर्म की रक्षा के लिए विष्णु ने खुद को जालंधर के रूप में बदला लिया और वृंदा के पास पहुंच गए अपने पत्नी को सकुशल वापस देखकर वृंदा प्रसन्न हो गई और उनके साथ पति सामान व्यवहार करने लगी. इस तरह वृंदा का पतिव्रत टूट गया और महाकाल  शिवशंकर  ने जालंधर का वध किया। 
 वध करने के बाद सत्य जानने के बाद वृंदा ने भगवान् विष्णु को श्राप दिया की वह  ह्रदयहीन पत्थर बन जाये. अपने भक्त के श्राप को विष्णु ने स्वीकार किया और शालिग्राम पत्थर बन गये. सृष्टि के पालनकर्ता के पत्थर बन जाने से ब्रम्हांड में असंतुलन की स्थिति हो गई. यह देखकर सभी देवी देवताओ ने वृंदा से प्रार्थना की वह भगवान् विष्णु को श्राप मुक्त कर दे.  वृंदा ने विष्णु को श्राप मुक्त कर  स्वय आत्मदाह कर लिया. इसी राख से एक पौधा उत्पन हुआ जिसे आज तुलसी के पौधे के नाम से जाना जाता है. इसके बाद भगवान् विष्णु ने वृंदा को वरदान दिया की तुलसी के रूप में उनकी पूजा पुरे संसार द्वारा की जाएगी. यह पौधा अनेको रोगों को दूर करेगा. साथ ही शालिग्राम के रूप में सदैव तुलसी के पौधे के साथ वे विद्यमान् रहेंगे.
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        Reviewed by पौराणिक कथा चैनल
        on 
        
November 16, 2018
 
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Jai shri hari
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