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             बुधवार व्रत कथा क्या है । जानिए 

बुधवार व्रत कथा क्या है  pauranikkathaa.blogspot.com पौराणिक कथा चैनल

नमस्कार मित्रो आपका बहुत बहुत स्वागत है पौराणिक कथा चेनेल में दोस्तो आज हम बात करने जा रहे है बुधवार व्रत कथा कें बारे में आइए दोस्तो जानते है है 

                         बुधवार व्रत कथा 

बुध ग्रह की शांति और सर्व-सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को बुधवार का व्रत अवश्य करना चाहिए।

बुधवार व्रत कि कथा -   एक समय की बात है एक साहूकार था वह अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए अपने ससुराल गया। कुछ दिन वहां रहने के उपरांत उसने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने के लिए कहा किंतु सास-ससुर तथा अन्य संबंधियों ने दामाद से कहा कि  बेटा आज बुधवार है।

बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते लेकिन वह नहीं माना और हठ करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा करवाकर अपने नगर को चल पड़ा। राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी, उसने पति से पीने के लिए पानी मांगा। साहूकार लोटा लेकर गाड़ी से उतरकर जल लेने चला गया। जब वह जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा, क्यूंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था।

पत्नी भी अपने पति को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई। साहूकार ने पास बैठे शख्स से पूछा कि तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो? उसकी बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा- अरे भाई, यह मेरी पत्नी है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं, लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो? दोनों आपस में झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आए और उन्होंने साहूकार को पकड़ लिया और स्त्री से पूछा कि तुम्हारा असली पति कौन है? उसकी पत्नी चुप रही क्यूंकि दोनों को देखकर वह खुद हैरान थी कि वह किसे अपना पति कहे? साहूकार ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बोला "हे भगवान, यह क्या लीला है?"

तभी एक आकाशवाणी हुई कि है मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे शुभ कार्य के लिए गमन नहीं करना चाहिए था। तूने हठ में किसी की बात नहीं मानी। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।

साहूकार ने भगवान श्री बुधदेव से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए प्रभु से क्षमा याचना की। तब मनुष्य के रूप में आए बुध देवता अंतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को घर ले आया। इसके पश्चात पति-पत्नी नियमपूर्वक बुधवार व्रत करने लगे। जो व्यक्ति इस कथा को कहता या सुनता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

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हनुमान जी कि जन्म कथा जानिए

          हनुमान जी कि जन्म कथा जानिए 

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                बजरंगबली जी का जन्म कथा 

नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चैनल में दोस्तो हम बात करने जा रहे हैं बजरंगबली जी कि जन्म कथा कें बारे में आइए दोस्तो जानते हैं

हिंदू धर्म ग्रंथ व पौराणिक कथा कें अनुसार प्रभु  हनुमान जी को अनेक नामों से जाना जाता है, जिसमें से उनका एक नाम वायु पुत्र भी है। जिसका पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में सबसे ज्यादा उल्लेख मिलता है।
 पुराणों की कथा कें अनुसार  हनुमान की माता अंजना संतान सुख से वंचित थी। इस दुःख से पीड़ित अंजना मतंग ऋषि के पास गईं, तब मंतग ऋषि ने उनसे कहा-पप्पा सरोवर के पूर्व में एक नरसिंहा आश्रम है, उसकी दक्षिण दिशा में नारायण पर्वत पर स्वामी तीर्थ है वहां जाकर उसमें स्नान करके, बारह वर्ष तक तप एवं उपवास करना पड़ेगा तब जाकर तुम्हें पुत्र सुख की प्राप्ति होगी।

अंजना ने मतंग ऋषि एवं अपने पति केसरी से आज्ञा लेकर तप किया था बारह वर्ष तक केवल वायु का ही भक्षण किया तब वायु देवता ने माता अंजना की तपस्या से खुश होकर उसे वरदान दिया जिसके परिणामस्वरूप चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा को अंजना को पुत्र की प्राप्ति हुई। वायु के द्वारा उत्पन्न इस पुत्र को ऋषियों ने वायु पुत्र नाम दिया।

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हनुमान जी कि जन्म कथा जानिए हनुमान जी कि जन्म कथा जानिए Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on July 23, 2019 Rating: 5

सावन सोमवार का प्रारम्भ होना ।

         सावन सोमवार का प्रारम्भ होना जानिए । 

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                         श्रावण सोमवार 

नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चैनल में दोस्तो हम बात करने जा रहे हैं श्रावण सोमवार कें प्रारंभ कें बारे में आइए दोस्तो जानते हैं । 

भगवान शिव  शंकर के अत्यधिक प्रिय महीने सावन की शुरुआत हो चुकी है। इस बार पहला सोमवार 22 जुलाई को है। पुराणों और हिंदू धर्म ग्रंथ कें मान्यता कें अनुसार यह है कि सावन (श्रावण ) में सोमवार का व्रत रखने वाले व्यक्ति की  सभी मनोकामना पूरी होती है।भगवान शिव शंकर महादेव की पूजा की साथ गौरा माता की पूजा का भी अधिक विशेष महत्व है। सोमवार के बाद मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। इससे दम्पति में सुख और शांति और समृद्धि आती है। इस वर्ष सावन की शुरुआत 17 जुलाई को हुई थी, जो कि 15 अगस्त को खत्म होगा। सावन में भगवान शिव शंकर महादेव के मंत्रो का जाप करना अत्यधिक शुभ और लाभदायक होता है।
भगवान महादेव  की आराधना करने वाले भक्त सावन (श्रावण )महीने में ही कावड़ यात्रा पर निकलते हैं।

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सावन सोमवार का प्रारम्भ होना । सावन सोमवार का प्रारम्भ होना । Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on July 21, 2019 Rating: 5

महाराज पांडु कि मृत्यु कैसी हुई जानिए ।

      महाराज  पांडु कि मृत्यु कैसी हुई जानिए । 

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                    महराज पांडु कि मृत्यु 

नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चैनल में दोस्तो हम बात करने जा रहे हैं महराज पांडु कें बारे हम जानेंगे कि उनकी मृत्यु कैसी हुई 

महाराज पांडु  का दूसरा विवाह मद्रदेश कि राज कुमारी माद्री से हुआ था । एक समय कि बात थी कि महाराज पांडु शिकार खेलने जंगल गए थें वहा किन्दम नामक ऋषि अपनी पत्नि कें साथ हिरण का रूप धारण किए हुऐ सहवास कर रहे थें महाराज पांडु कि उन पर दृष्टि गई और उन्होने उसी अवस्था में उन पर बाण चला दिया । जिससे वह अपने वास्तविक रूप में आये और महाराज पांडु को श्राप दिया कि तुम जब भी अपनी पत्नि कें साथ सहवास (काम क्रीड़ा ) करोगे तुम्हारी तुरंत ही मृत्यु हो जायेगी । 

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महाराज पांडु कि मृत्यु कैसी हुई जानिए । महाराज पांडु कि मृत्यु कैसी हुई जानिए । Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on July 19, 2019 Rating: 5

श्रावण मास क्यू मनाया जाता हैं । जानिए इसका महत्व ।

श्रावण मास क्यू मनाया जाता हैं । जानिए इसका महत्व ।

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नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चैनल में हम बात करने जा रहे हैं कि श्रावण मास क्यू मनाया जाता हैं । जानिए इसका महत्व । आइए दोस्तो जानते हैं 

                           श्रावण मास 


हिंदू धर्म ग्रंथ और शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास  भगवान शिव शंकर को प्रिय होने के साथ साथ मनोकामनाओं को पूरा करने का मास भी होता है.  श्रावण मास को वर्ष का सबसे पवित्र मास माना जाता है.

पौराणिक एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण का मास भगवान शिव  शंकर और भगवान  विष्णु का आशीर्वाद लेकर आता है. माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे श्रावण माह में कठोरतप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था. यह महीना भगवान शिव के पूजन लिए खास महत्व रखता है.

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श्रावण मास क्यू मनाया जाता हैं । जानिए इसका महत्व । श्रावण मास क्यू मनाया जाता हैं । जानिए इसका महत्व । Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on July 17, 2019 Rating: 5

गुरु पूर्णिमा क्यू मनाई जाती हैं जानिए ।

  गुरु पूर्णिमा क्यू मनाई जाती हैं जानिए । 

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                             गुरु पूर्णिमा     

नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथा चैनल  में हम बात करने जा रहे हैं गुरु पूर्णिमा कें बारे में जी हाँ दोस्तो हम बताएंगे कि गुरु पूर्णिमा क्यू मनाई जाती हैं जानिए यह कथा ।  

हिंदू धर्म और शास्त्रों कें अनुसार आषाढ़  मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी अत्यधिक  सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अत्यधिक  गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं। जैसे सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता एवं फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व - पौराणिक गाथाओं एवं  हिंदू धर्म और शास्त्रों की मानें तो अनेक ग्रन्थों की रचना करने वाले भगवान वेदव्यास को गुरु माना गया हैं। बताया जाता हैं कि आज से लगभग 3 हजार ई. पूर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। तब से ही उनके मान-सम्मान एवं कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती हैं। इस दिन अत्यधिक जगह लोग भगवान महर्षि वेदव्यास जी कि पूजा करते हैं  पूजन कर उनकी ग्रंथो  को पढ़ते हैं। 

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गुरु पूर्णिमा क्यू मनाई जाती हैं जानिए । गुरु पूर्णिमा क्यू मनाई जाती हैं जानिए । Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on July 16, 2019 Rating: 5

बर्बरीक ने जिस वृक्ष में महाभारत काल में तीर चलाया था । जाने कहा हैं

बर्बरीक ने जिस वृक्ष में महाभारत काल में तीर चलाया था । जाने कहा हैं 

नमस्कार दोस्तो आपका बहुत बहुत स्वागत हैं पौराणिक कथाएँ में दोस्तो आज हम बात करने जा रहे महाभारत काल का ऐसा वीर योध्दा बर्बरीक कें बारे में जी हाँ दोस्तो हम जानेंगे बर्बरीक ने जिस वृक्ष में महाभारत काल में तीर चलाया था । वह अब कहा हैं आइए मित्रो । । । 

बर्बरीक ने जिस वृक्ष में महाभारत काल में तीर चलाया था । जाने कहा हैं  pauranikkathaa.blogspot.com पौराणिक कथाएँ

                  वीर बर्बरीक (खटुश्याम जी )

मित्रो आज भी महाभारत युद्घ में पांडवों कि जीत में सबसे बड़े योगदान कि बात करे तो वह था घटोत्कच पुत्र बर्बरीक का था बर्बरीक ने जिस वृक्ष में अपना बाण चलाया था वह वृक्ष आज भी स्थित हैं हरयाणा कें हिसार जिले में यह स्थान वीर वरवरन कें नाम से जाना जाता हैं और हैरानी कि बात यह हैं कि कि वह पीपल का वृक्ष आज भी वही ही स्थित हैं उसके पत्ते में आज भी छेद हैं और उसमे जितने भी पत्ते आते हैं उनमे भी छेद होता हैं 

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बर्बरीक ने जिस वृक्ष में महाभारत काल में तीर चलाया था । जाने कहा हैं बर्बरीक ने जिस वृक्ष में महाभारत काल में तीर चलाया था । जाने कहा हैं Reviewed by पौराणिक कथा चैनल on July 16, 2019 Rating: 5
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